Monday, May 18, 2015
Hasrate. ..a beautiful poem
बड़ी है , छोटी है
गहरी है , ऊँची है
पूरी होती , टूटती , गिरती
फिर खड़ी हो जाती
इस छोटे मन की बड़े पैरों वाली हसरतें
" एक छोटा सा मन रोज़ बना कर रोज़ तोड़ देता है
हसरतों की बड़ी बड़ी इमारतें "
- वैभव , १७ मई २०१५
Friday, May 1, 2015
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